मंत्रिमंडल गठन के पूर्व सीएम असन्तुष्ट नेताओं को संतुष्ट करें





धार। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने नवीन मंत्रिमंडल की सूची लेकर दिल्ली रवाना हो गए हैं। सीएम शिवराज सिंह दिल्ली में प्रदेश के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा, संगठन मंत्री सुहास भगत, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ विचार विमर्श करने के बाद मंत्रिमंडल के नामों पर अंतिम मोहर अमित शाह और जे पी नड्डा लगाएंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही आने वाले एक-दो दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा।


प्रदेश के महामहिम राज्यपाल लाल जी टंडन के अस्वस्थ होने के कारण प्रदेश के राज्यपाल का प्रभार उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को सौप दिया गया है जिससे मंत्रिमंडल के नवीन सदस्यों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सके।


इस बार मंत्रिमंडल के गठन को लेकर काफी परेशानियां सामने आई। 22 विधायकों के कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में आने और इनमें से करीब आधे विधायकों को मंत्री पद देने की अनिवार्य शर्त ने भारतीय जनता पार्टी का क्षेत्रीय शक्ति संतुलन गड़बड़ा दिया था। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार थे। सीएम शिवराज सिंह चौहान भी अपनी पसंद के कुछ लोगों को मंत्रिमंडल में रखना चाहते थे। इसी कशमकश में काफी देर हो गई।
सभी नेताओं की मनोकामना पूरी नहीं होने के कारण असन्तुष्ट नेताओं को संतुष्ट करने के लिए मुख्यमंत्री निगम, मंडल, में असन्तुष्ट नेताओं को पद देकर संतुष्ट करें। जिससे पार्टी में असंतोष के स्वर सुनाई नहीं दे। अन्यथा असन्तुष्ट नेता उपचुनाव में बीजेपी का गणित बिगाड़ सकते हैं।


बीजेपी को उपचुनाव में तीन चार सीटों पर असन्तुष्ट नेताओं से चुनोती मिल रही हैं। सांवेर में बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए प्रेमचंद गुड्डू चुनोती देंगे। वहीं धार जिले की बदनावर तहसील में बीजेपी नेता भंवर सिंह शेखावत, देवास जिले में दीपक जोशी, दतिया जिले की भांडेर तहसील में बीजेपी के पूर्व विधायक घनश्याम पिरोनिया, ग्वालियर जिले में भी बीजेपी के पूर्व विधायक को संतुष्ट करना होगा। अन्यथा बीजेपी का गणित उपचुनाव में बिगड़ सकता है। 


वैसे देखा जाय तो कांग्रेस अभी तक उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवार के नाम पर सहमति नहीं बना पाई है। कांग्रेस में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच खींचतान जारी है और गुटबाजी के चलते कांग्रेस कमजोर नजर दिखाई देती हैं। दिग्विजय सिंह को कांग्रेस के चाणक्य नेताओं में गिना जाता है वह एक तीर से दो शिकार करने में माहिर माने जाते हैं। कांग्रेस उपचुनाव जीत जाती हैं तो विधायक की संख्या का गणित दिग्विजय सिंह गुट का रहने के कारण उनकी पसंद का नेता ही विधायक दल का नेता चुना जाएगा और कांग्रेस उपचुनाव में पराजित होती है तो पराजय की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की होने के कारण कमलनाथ से इस्तीफा मांगा जायेगा। कमलनाथ के इस्तीफे के बाद दिग्विजय सिंह का प्रदेश में दबदबा कायम रह जायेगा।

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